mohit kumar yadav
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क्या ये हिंदी छात्रो के साथ ज्यादती नही है की आई ए एस की परीक्षा में सिर्फ 20 छात्र पास हुए हैं, यदि अंगरेजी भाषी छात्रों का हल पेपर हिंदी में परिवर्तित करके किसी हिंदी प्रोफ़ेसर से चेक करवाया जाये तो क्या बही रैंकिंग मिलेगी , यदि नहीं तो ये हिंदी छात्रो के साथ ज्यादती क्यों , ये तो एक तरह का सामाजिक शोषण ही हुआ ?
बस आज के लिए इतना ही |
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